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Mahashakti Chyawanprash /महाशक्ति च्यवनप्राश – 500 gm

900.00

जंगल मे चरने वाली देशी गौ माता के दूध से अपने हाथ से बनाये 100% शुद्ध पंचगव्य घृत से बना शुद्ध च्यवनप्राश।

लाभ – पंचगव्य उत्पाद कुटीर द्वारा निर्मित यह च्यवनप्राश अत्यंत श्रेष्ठ रसायन है , विशेषतः खास, स्वास रोगनाशक, रोगियों एवं बहुत कमजोर वृद्ध तथा बच्चों को पुष्टि देने  वाला,स्वरक्षय, उदर रोग, हृदय रोग, वातशोणित, पिपाशा, मूत्रदोष एवं शुक्रदोषों को नष्ट करने वाला, मेधा, स्मृति, कांटी, निरोगता, दीर्घायुत्व, इन्द्रियबल, अग्निवृद्धि, बलवृद्धि, प्रसन्नता, बातनुलोम्य इत्यादि भावों को उत्कृष्ट बनाता है, कुटी प्रवेश विधि से सेवन करने पर जराकृत रूप का नाश होकर वृद्ध को भी नवयौवन की प्राप्ति होती है।

गुण : बल एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
ह्रदय, मस्तिष्क, वातवाहिनी, शुक्रवाहिनी, नाड़ियो को बल प्रदान करने में उपयोगी

अत्यंत पौष्टिक और स्वादिष्ट।

सेवन विधि – 5 से 20 ग्राम आयु के अनुसार चूसकर गर्म गौदुग्ध पीवें, अथवा वैद्य के परामर्शानुसार।

अन्य विशेषताएं:

1. रासायनिक चीनी से मुक्त: केवल प्राकृतिक गुड़ या शुद्ध शहद या देसी खांड से बना।
2. मशीनों से नहीं हाथ से बना।
3. बनाने में कोई एल्युमीनियम के बर्तन का प्रयोग नहीं किया गया।
4. चरने वाली देशी गौ माता के पूर्ण विधि से बने पंचगव्य घृत से बना।

 

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Description

पंचगव्य घृत युक्त महाशक्ति च्यवनप्राश

जंगल मे चरने वाली देशी गौ माता के दूध से अपने हाथ से बनाये 100% शुद्ध पंचगव्य घृत से बना शुद्ध च्यवनप्राश।

घटक द्रव्य – दशमूल (बिल्व, अग्निमंथ, पाटला, काश्मरी, श्योनाक, शालपर्णी, प्रशिणापणी, दोनों कंटकारी, गोक्षुर) अष्टवर्ग (जीवक,ऋषभक, मेदा, महामेदा, काकोली, क्षीर काकोली, ऋद्धि, वृद्धि) में उपलब्ध औषधियों, बला, पीपली, दोनों बृहती, आमलकी (भूमि आमला), श्रृंगी, द्राक्षा, जीवन्ति, पुष्कर, अगर, अभय (हरड़), अमृता, सौंठ, मुस्ता, पुनर्नवा, छोटी इलायची, उत्पल, चन्दन, विदारीकंद, वृषमूल, काकनासिका, अश्वगंधा, नागरमोथा, शतावर, कमलगट्टा, सफ़ेद मूसली, काली मूसली, कचोर,मुलहठी, तुलसी दोनों, इलायची बड़ी, ब्रह्ममी, शंखपुष्पी।  इन सभी का वस्त्रपूत क्वाथ।

उपरोक्त क्वाथ  में तैयार आवलों छनी पिष्टी, देशी गाय का बिलोना घी, काले तिल का तेल, कोल्हू की देशी खाण्ड को मिलाना है ।
प्रक्षेप द्रव्य – वंशलोचन, केसर, अभ्रक भस्म, मुक्ताशुक्ति भस्म, दालचीनी, छोटी पीपर, मिर्च, तेजपत्ता, छोटी इलायची  पाउडर, नागकेसर, देसी शहद।
हमारे शास्त्रों में स्वास्थ्य के रक्षण के हित बहुत से व्रत, नियम , तपश्चर्या, विधि , निषेध , भक्ष , अभक्ष इत्यादि के माध्यम से बहुत शरीर स्वास्थयार्थ कई बातों का निरूपण किया गया है ।
हमारे शास्त्रों में स्वास्थ्य के रक्षण के हित बहुत से व्रत, नियम , तपश्चर्या, विधि , निषेध , भक्ष , अभक्ष इत्यादि के माध्यम से बहुत शरीर स्वास्थयार्थ कई बातों का निरूपण किया गया है ।
आंवला स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है ।
कहा गया है जिसने भी पूरे कार्तिक मास आंवला के वृक्ष पर चढ़कर आंवला के फल पत्तियों और उसके डंठल से दातुन करके व्रत करता है , वह आजीवन निरोगी रहता है ।
कहने का तात्पर्य यह है कि पूरे कार्तिक मास में आँवला के पत्र , पुष्प , फल , इत्यादि का जो भी सेवन करेगा उसके शरीर में अंदर अद्भुत क्षमता का निर्माण होगा , शरीर से विजातीय तत्व या हानिकारक अवयव या बीमार करने वाले तत्व बाहर निकल जाएंगे
आँवला antioxidant का काम करता है । त्वचा के लिए बहुत उपयोगी । जल्दी वृद्धावस्था आने नहीं देता ।
हड्डियों के osteoporosis वाली बीमारी खत्म कर हड्डियों की मजबूती वरदान करता है ।
Antidepressant का कार्य करता है । किसी को depression हो तो वह नियमित आँवला का सेवन करे तो उसको डिप्रेशन नहीं होगा । यह ऐसा हॉर्मोन्स  secretion को प्रेरित करता है जो antidepressant का कार्य करता है ।
आँखों के लिए , लिवर के लिए , किडनी के लिए बेहद अचूक है । आंवला का कसैलापन शरीर के लिए बहुत उपयोगी है ।
प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है। sperm count को बढ़ाता है और यौवन बरकरार रखता है ।
जो आँवला का सेवन नियमित करता है उसपर आयु कर प्रभाव काम दिखता है।
च्यवन ऋषि का च्यवनप्राश इसी आँवला पर ही बना है । च्यवन ऋषि ने अपनी तरुणाई या यौवन इसी आँवला के सेवन से ही प्राप्त की ।
इसीलिए सब लोग आँवला अवश्य खाईये एवं इसके पश्चात होली तक किसी भी रूप में आँवला खाना लाभकारी है। परंतु उसमे कोई कृत्रिम रसायन या हानिकारक चीनी अथवा कृत्रिम मीठा न हो इसका ध्यान रखें।

Additional information

Weight 550 g

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